संस्थान
भारतीय विधिक माप विज्ञान संस्थान अपनी प्रकृति का एक अनूठा अग्रणी संस्थान है, जिसे आमतौर पर आई. आई. एल. एम. के रूप में जाना जाता है। यह संस्थान भारत सरकार द्वारा बाट और माप मानक अधिनियम, 1976 (1976 का 60) के प्रावधानों के तहत स्थापित एक संवैधानिक निकाय है, जिसे विधिक माप विज्ञान अधिनियम, 2009 की धारा 21 के तहत स्थापित किया गया है। यह न केवल भारत में ही नहीं अपितु दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में अपनी तरह का एकमात्र शीर्ष संस्थान है। यह संस्थान केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के उपभोक्ता मामले विभाग के प्रत्यक्ष नियंत्रण में काम कर रहा है। यह प्रतिष्ठित, अत्यधिक योग्य, अनुभवी संकाय सदस्यों, संसाधन पूर्ण प्रयोगशालाओं और अन्य संबद्ध आवश्यक सुविधाओं से सुसज्जित है ताकि यह विधिक माप विज्ञान के क्षेत्र में प्रभावी ढंग से कार्य करने में सक्षम हो सके। संस्थान का कुल क्षेत्रफल लगभग 70000 वर्ग मीटर है।
संस्थान विधिक माप विज्ञान और इसकी संबद्ध शाखाओं के क्षेत्र में प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। विशेष रूप से संस्थान अपने परिसर में 32 पाठ्यक्रमों का संचालन करके विधिक माप विज्ञान के क्षेत्र में भारत के विधिक माप विज्ञान अधिकारियों को प्रशिक्षित करता है। इन पाठ्यक्रमों में मूलतः संस्थान भारत के विधिक माप विज्ञान अधिकारियों (एल. एम. ओ.) के लिए 04 महीने की अवधि का बुनियादी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम (बी. टी. सी.) वर्ष में तीन बार संचालित करता है।
भारत ओ. आई. एम. एल. का भी एक राज्य सदस्य है और मानकों की अंतर्राष्ट्रीय ट्रेसेबिलिटी का पालन करता है। भारत देश की आवश्यकताओं के अनुसार ओ. आई. एम. एल. मानक भार या माप से सम्बंधित सिफारिशों को लागू करता है। संस्थान संदर्भ मानकों के स्तर तक ट्रेसेबिलिटी बनाए हुए है।
संस्थान विधिक माप विज्ञान अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान करके विधिक माप विज्ञान के क्षेत्र में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और विधिक माप विज्ञान अधिकारियों को राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के प्रवर्तन को प्रभावी ढंग से निष्पादित करने के लिए कुशल बनाता है।
संस्थान विधिक माप विज्ञान के क्षेत्र में विदेशी अधिकारियों को भी प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। अब तक संस्थान ने 32 देशों के विदेशी अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया है।